“निस्वार्थ जीव अपना जीवन त्रासदियों में ही बिताते हैं”, चाबुक से पीटते एक घोड़े को देख़ कैसे एक महान दार्शनिक का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, उस भाव के नज़दीक पहुँचने के लिए ये लेख तीन कहानियों की सहायता लेता है - बोज़ो, पूनाची और बल्थज़ार
While reading this gem, I've cried for every animal I haven't treated right.
I know, I feel the same
I am glad you felt the stories:)
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