बाबा के कंधों पर खड़े होकर पके अमरूद तक हाथ पहुँचाते-पहुँचाते पत्तियों की खिड़की से दिखी नीले आसमान में उड़ती एक काली पतंग उदास, जैसे टूटता तारा
सब कुछ बचा रहेगा
सब कुछ बचा रहेगा
सब कुछ बचा रहेगा
बाबा के कंधों पर खड़े होकर पके अमरूद तक हाथ पहुँचाते-पहुँचाते पत्तियों की खिड़की से दिखी नीले आसमान में उड़ती एक काली पतंग उदास, जैसे टूटता तारा