"इस बरस आएगा लगता है!" गरम हवा के थपेड़ो से सूखते होठों से एक बड़बड़ाहट निकली । बड़बड़ाने की आवाज़ के दरवाज़ा पार करते ही दीवारों के पीछे किसी पुराने सूपे में उछलते अनाज की आवाज़ रुक गयी और अनाज के किसी डब्बे में गिरने की आवाज़ आने लगी । "हओ। बड़ा आ रा वो , तीन बरस हो गए जरा भी ख़याल रहता तो आ नहीं जाता मरा अरे रुकता नहीं पर मुँह तो दिखा देता , पिछले बार आया था जभी तो पूरो गाँव खुस था ।”
शायद इस बरस!
शायद इस बरस!
शायद इस बरस!
"इस बरस आएगा लगता है!" गरम हवा के थपेड़ो से सूखते होठों से एक बड़बड़ाहट निकली । बड़बड़ाने की आवाज़ के दरवाज़ा पार करते ही दीवारों के पीछे किसी पुराने सूपे में उछलते अनाज की आवाज़ रुक गयी और अनाज के किसी डब्बे में गिरने की आवाज़ आने लगी । "हओ। बड़ा आ रा वो , तीन बरस हो गए जरा भी ख़याल रहता तो आ नहीं जाता मरा अरे रुकता नहीं पर मुँह तो दिखा देता , पिछले बार आया था जभी तो पूरो गाँव खुस था ।”