कमरे के भीतर, अनगिनत किताबों के बीच….. मैं जीना चाहता हूँ एक अनाम सदी के प्रारम्भ से अनाम सदी के अंत तक प्रकाश के जन्म से लेकर समय की मृत्यु तक देखना चाहता हूँ सभ्यताओं को बनते हुए बसते हुए, मिटते हुए समय के भीतर रहकर समय के बाहर झाँकना चाहता हूँ
कमरे के भीतर कमरे के बाहर
कमरे के भीतर कमरे के बाहर
कमरे के भीतर कमरे के बाहर
कमरे के भीतर, अनगिनत किताबों के बीच….. मैं जीना चाहता हूँ एक अनाम सदी के प्रारम्भ से अनाम सदी के अंत तक प्रकाश के जन्म से लेकर समय की मृत्यु तक देखना चाहता हूँ सभ्यताओं को बनते हुए बसते हुए, मिटते हुए समय के भीतर रहकर समय के बाहर झाँकना चाहता हूँ