इतने धीरज से लिखूं एक एक अक्षर की यदि पन्ने से समेट कर , ले हथेलियों में उछाल दूं सभी को किसी खेत में । तो इस आशा से देखता रहूं पकती हुई ज़मीन को कि जब एक बीज अंकुरित हो तो बड़ा होकर बने वो पेड़ भाषा का । एक ऐसी बोली जिसे गौर्रैया कुत्ते भेड़ बकरी नदी पहाड़
सबकी भाषा
सबकी भाषा
सबकी भाषा
इतने धीरज से लिखूं एक एक अक्षर की यदि पन्ने से समेट कर , ले हथेलियों में उछाल दूं सभी को किसी खेत में । तो इस आशा से देखता रहूं पकती हुई ज़मीन को कि जब एक बीज अंकुरित हो तो बड़ा होकर बने वो पेड़ भाषा का । एक ऐसी बोली जिसे गौर्रैया कुत्ते भेड़ बकरी नदी पहाड़