पिता को अपने आज में शब्दों के सहारे खोजते तीन कवि। क्या ऐसा कभी हुआ है कि आप अपने कामकाजी शहर से कुछ दिनों के लिए घर लौटे हों और आपके पिता एक कहानी सुनाने लगे हों?
पिता जा चुके हैं, अपना चश्मा और घड़ी भूल कर
पिता जा चुके हैं, अपना चश्मा और घड़ी भूल कर
पिता जा चुके हैं, अपना चश्मा और घड़ी भूल कर
पिता को अपने आज में शब्दों के सहारे खोजते तीन कवि। क्या ऐसा कभी हुआ है कि आप अपने कामकाजी शहर से कुछ दिनों के लिए घर लौटे हों और आपके पिता एक कहानी सुनाने लगे हों?