गुलदस्ते में फूल अब भी ज़िंदा थे, सी-सी की कजरी आँखों में नारंगी और पीले चमकते दिखे, एक पल के लिए उसे लगा उसके पीछे साँप हैं, फिर समझ आया उसकी ही पूँछ थी, सी-सी हर तीन मिनट में भूल जाती है की उसकी पूँछ है या फिर उसे हर तीन मिनट में याद आता है कि अरे! मेरी पूँछ भी है । एक अजीब सी जानी पहचानी महक उसे बार बार गुलदस्ते की ओर धकेलती, और उसका मन करता की वो अपनी इस गम्भीर curiosity को मिटाने के बाद इस गुलदस्ते को नीचे धकेल दे, पर एक पुराना पीला कप फोड़ने पर रेखा ने उसे पिछली बार खाना नहीं दिया था
हमेशा की तरह अक्षत ने अपनी जिज्ञासा को खूबसूरत शब्दों में पिरोया है। 🙌☘️