भाई जी के पैरों की अजीब दास्तान!
short story: गाँव पहुँचकर नेता जी फ़ैसला किया की वो खुद पैदल नहीं चलेंगे, इसलिए बॉडी गार्ड की पीठकोली चढ़ गए। शक्कर की बोरी जैसे लद गए! चप्पल गीली हो जाती या कीचड़ में सन जाती तो बहुत दुःख होता!
नेता जी बाढ़ का दौरा करने के लिए जब अपने रेसिडेंस से निकल गए तब उन्हें याद आया की जल्दी-जल्दी में वो नयी चप्पल पहन के आ गए हैं। पीछे भी नहीं मुड़ सकते, क्योंकि हैलिकॉप्टर ऊपर उड़ चुका था ।
“चप्पल बहुत शानदार है आपकी भाई जी !”
पर्यावरण मंत्री ने कॉम्प्लिमेंट दिया! नेता जी बोले “ये धारियाँ देख़ रहे हैं! मगरमच्छ का चमड़ा है !”
“क्या बात कर रहे हैं भाई जी ! original?” नेता जी थोड़ा झेंप गए, कुछ नहीं बोले!
“बहुत ही शानदार क्वालिटी! अगली बार अगर हो सकते तो हमारे लिए भी!”…थोड़ा रुक के पर्यावरण मंत्री पूछते हैं
“कहाँ से मँगवायी भाई जी ?”
“अमेज़न के मगरमच्छों से बनता है, प्रीमीयम क्वालिटी!”
“अमेज़न पे मगरमच्छ भी मिलते हैं!” पर्यावरण मंत्री की भौहें उप्पर उठ गयी
“ अमेज़न के वर्षा वनों में पाए जाने वाले मगरमच्छों की बात कर रहा हूँ ! उनके चमड़े से बनी है”
“ओहोहोहो मैं सोचा कि…”
नेता जी ने खिड़की से नीचे झांका, जहाँ तक दिखता था बस पानी था, गाँव -बस्ती खेत खलिहान पेड़ सब जलमग्न थे! दर्जनों भैसों के शव तैर रहे थे
नेता जी ने सेक्रेटेरी को इशारा किया, सेक्रेटेरी ने नेता जी की बाढ़ का जायज़ा लेते एक फ़ोटो खींची!
नेता जी ने फ़ोटो देख़ कर माथे पे आए बालों को पीछे किया, टिशू पेपर से चेहरा साफ़ किया, सेक्रेटेरी ने फ़िर एक फ़ोटो खींची! नेता जी ने अप्रूव कर दी!
“ कुछ सहानुभूति वाल क्वोट गूगल कर के ट्वीट कर दो! एक बार दिखा देना! देखना पहले किसी मंत्री ने वहीं चेंप के ना लिख दिया हो ” नेता जी हंस पड़े!
“जी भाई जी!”
नेता जी अपनी चप्पल को निराहरने लगे!
“बहुत ही नरम और मुलायम, अंदर से जितनी सख़्त उतनी ही मख़मल अंदर से!”
चप्पल पड़ोसी राष्ट्र के नेता ने भाई जी को एक शांति वार्ता में शांत बैठे रहने के इनाम में भेंट की थी, शांति वार्ता के बाद भी हुयी प्रेस-कॉन्फ़्रेन्स में पत्रकारों के सवालों के सामने भी चुप बैठे रहे थे। सारे सवाल बग़ल में बैठे रक्षा मंत्री की ओर डाईवर्ट कर दिए गए थे.
ख़ैर!
गाँव पहुँचकर नेता जी फ़ैसला किया की वो खुद पैदल नहीं चलेंगे, इसलिए बॉडी गार्ड की पीठकोली चढ़ गए । शक्कर की बोरी जैसे लद गए! सारे गाँव वाले पानी में तरबतर खड़े थे, नंगे-भूखे परेशान किसान, ठंडी लाश जैसे महकते, हवा में एक उदासी थी, सन्नाटा था! पर अपने नेता को ऐसे पीठ पे लदा देख कर सबकी हंसी छूट पड़ी।
उनके लीडर, भाई जी को लाद के ज़ाया जा रहा है, सेक्रेटेरी उन्हें याद दिला रहे हैं की अगर उन्होंने अभी लदना नहीं छोड़ा तो उनके दिन लद जाएँगे! चुनाव नज़दीक हैं!
लोगों की हंसी जारी है। नेता जी कुछ सोच कर उतरने का फ़ैसला करते हैं, और जैसे ही उतरते हैं लोग ताली बजाने लगते हैं,
नेता जी की चप्पल बाढ़ के मैले पानी में भीग चुकी है,कीचड़ में सन चुकी है, दिल दुखता है पर अब क्या करें, जनता के लिए इतना तो करना पड़ेगा । भाई जी अब अपना हौसला बढ़ाते हैं और आगे बढ़ते हैं अकेले!
नेता जी सेक्रेटेरी को इशारा कर चुके हैं , पानी में आधे डूबे झोंपड़े का जायज़ा लेने अकेले आगे बढ़े जा रहे हैं! सेक्रेटेरी ने अपने फोन का कैमरा चालू कर दिया है ! फ़्रेम सेट कर ली है। record बटन बस दबने ही वाला है
गाँव वाले उन्हें पुकारते हैं “लौट आओ भाई जी, लौट आओ, उतनी आगे ना जाओ” पर नेता जी को अब एक निडर लीडर की छवि स्थापित करनी है!
एक तेज़ झपटा,क्षण भर में मैला पानी लाल हो चला है।
मगरमच्छ के जबड़ों में नेता जी का पैर है। पैर में नयी चप्पल है !
बॉडी गार्ड गोली चलाते हैं, जनता को तो भैय्या मज़ा आ जाता है, ऐसी विपदा के समय इतना भयानक मनोरंजन आहाहाहा! मगरमच्छ को गोली लगती है वो पानी में लौट जाता है!
नेता जी अपना एक पैर और एक चप्पल दोनो खो दिए , youtube पे मगरमच्छ के हमले का विडियो वाइरल हो गया है, टाइटल ऐसे दिया गया है जैसे मगरमच्छ ने भाई जी पे नहीं, भाई जी ने मगरमच्छ पे हमला किया हो! “बाहुबली भाई जी का मगरमच्छ से संग्राम” न्यूज़ ऐंकर गले फटने तक चीखे जाते हैं, चिल्लाए जाते हैं।
जितना शोर मच्छी बाज़ार में होता है उससे कई कई ज़्यादा चिल्ला-चोट न्यूज़ रूम में हो रही है! बहस हो रही है, की नेता जी ने जो किया वो एक ख़ास समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए किया, गाँव मुसलमान बहुल इलाका था क्या हिन्दू बहुल इलाका होता तो नेता जी मगरमच्छ से लड़ जाते? मगरमच्छ पे हमले के बाद से Peta वाले शोकाकुल हैं!
एक ऐंकर चिल्लाए ज़ा रहा है “पूछता है देश ! भाई जी के इस बलिदान का क़र्ज़ कैसे अदा करेंगे हम! पूछता है देश! इस अदम्य देशभक्ति और जन -भक्ति के प्रदर्शन के बाद कौन नहीं बनना चाहेगा भाई जी का भक्त! पूछता है भारत!”
अरे भैय्या कुछ नहीं पूछता है भारत, कुछ नहीं जानना चाहता भारत!” कोई ऐंकर इस घटना के DNA को समझाना चाहता है, कोई इस महान और असाधारण घटना को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करवाना चाहता है। एक फ़िल्म निर्माता ने भाई जी की बायोपिक पे भी काम शुरू कर दिया है!
“वो मगरमच्छ, थके हुए, हारे हुए लोगों की तरफ़ बढ़ रहा था, मैंने सोचा कि इस मगरमच्छ को भोले भाले गाँव वालों तक पहुँचने से पहले मेरा सामने करना होगा! मैंने छलांग लगा दी बस!” भाई जी का ट्वीट आया!
रीट्वीट होते होते ट्विटर अटक गया, थक गया !
कुछ दिनों बाद मगरमच्छ का मृत शरीर नदी के किनारे झाड़ियों में अटका हुआ मिला ! गाँव वाले कहते हैं की मगरमच्छ गोली से नहीं मरा, नेता जी के शरीर में कोई ज़हर होगा, बस निपटा दिया! नेता जी बाहुबली आदमी हैं! मगरमच्छ ने तो बस उनका पैर खाया, वो तो पूरा मगरमच्छ खा गए! ही ही ही ही!”
चप्पल बहती हुयी पहुँचती है गाँव के बीचो-बीच,
एक बच्चा चप्पल को बाँस में फँसा कर वही गाढ़ देता है गाँव के बीचो -बीच !समय के साथ-साथ धीरे धीरे नदी का पानी लौट जाता है नदी में, गाँव की मिट्टी रह जाती है गाँव में!
चौराहे का नाम अब चप्पल चौराहा पड़ गया है!
और भाई जी के इस बलिदान का अद्भुत परिणाम ये निकला कि इस घटना के के बाद से गाँव में कभी कोई बाढ़ नहीं पहुँची, ना कोई मगरमच्छ आया ।
नेता जी को इतनी पॉप्युलैरिटी मिल गयी है कि उन्होंने अपने एक नयी पार्टी लॉंच कर दी है जिसका चुनाव चिन्ह है “ नक़ली पैर” और पार्टी स्लोगन है
“बढ़े चलो, चले चलो, लड़े चलो”
एक चप्पल जो नेता जी के पैरों में अटकी रह गयी वो उनके पैतृक घर के बड़े हाल में फ़्रेम्ड है, नेता जी का प्रास्थेटिक पैर अब स्पोर्ट्स वाले जूते पहनता है, उसी स्पोर्ट्स ब्रांड के ऐम्बैसडर भी हैं, और अपना यू ट्यूब चैनल शुरू कर के एक मोटिवेशनल स्पीकर भी बन गए हैं! बाढ़ के दौरों पे उन्हें और साथी नेताओं को कहीं ना जाना पड़े इसलिए बाढ़ रोकने के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया है जो बहुत मेहनत और ईमानदारी से अपना काम करती है।
हर साल बारिश के पहले गाँव वाले दर्जन भर पुतले बनाते हैं नेता जी के पैरों के, और उसे चप्पल पहना कर छोड़ देते हैं नदी में जिससे नदी देवी और मगरमच्छ देवता खुश रहें।
write up by Akshat Pathak
cartoon by RK LAXMAN
IMAGES: NEWS SOURCE
पूछता है देश😊😊
ज़बरदस्त लिखा है, भाई 🤘👌
Ek teer se hi bohot saare nishane saadhe gye hain.. It was very entertaining yet the purpose is fulfilled beautifully