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“वंका”
भाग-1 * पिता के दस्तानों में जहाँ जहां से उन उधड़ गया था, वंका अपने पीले दस्तानों से उन्हें ढकने की कोशिश करने लगा पर कोई ना कोई छेद खुला ही रह जाता *
Jul 20, 2021
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Akshat
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“वंका”
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गोल्डन नीडल सीविंग स्कूल और एक तिलिस्मी शहर
अगर शब्द आपको मौत के पास ले जा सकते हैं तो फिर भी क्या आप लिखेंगे एक आख़री कविता?
May 7
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मक़सूद मास्टर का स्वान गीत
मक़सूद मास्टर को लगा जैसे कपड़ा सीते सीते वो खुद को भी सीते जा रहे हैं।सुबह आँगन में बिल्ली के छोटे छोटे बच्चे यहाँ से वहाँ कूद रह रहे थे! वह पक्षी जैसे…
Mar 12
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Akshat
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बोज़ो, पूनाची, बल्थज़ार और नीत्शे के आँसू
“निस्वार्थ जीव अपना जीवन त्रासदियों में ही बिताते हैं”, चाबुक से पीटते एक घोड़े को देख़ कैसे एक महान दार्शनिक का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, उस भाव के…
Jan 28
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Akshat
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"शब्द, समय और बस स्टैंड पर खड़ा एक साधारण आदमी"
गर्मियों में जब घर के सभी लोग दोपहर का भोजन करके ऊँघने लगते थे, हम बच्चे चुपके से छत की ओर भाग आते थे। उस दिन छत पर तीन बरनियाँ रखी हुयी थी, तीनों में…
Jan 6
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पिता जा चुके हैं, अपना चश्मा और घड़ी भूल कर
पिता को अपने आज में शब्दों के सहारे खोजते तीन कवि। क्या ऐसा कभी हुआ है कि आप अपने कामकाजी शहर से कुछ दिनों के लिए घर लौटे हों और आपके पिता एक कहानी…
Aug 2, 2022
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सिनेमा और आर्यभट्ट
एक निर्देशक की आँखो-देखी
May 18, 2022
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सी-सी के क़िस्से
गुलदस्ते में फूल अब भी ज़िंदा थे, सी-सी की कजरी आँखों में नारंगी और पीले चमकते दिखे, एक पल के लिए उसे लगा उसके पीछे साँप हैं, फिर समझ आया उसकी ही पूँछ…
Dec 19, 2021
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Akshat
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